Author Vinod Dubey

About Me

 Vinod Dubey is a Navy officer by profession, an author by passion

Background:

भदोही जिले के एक गाँव में जन्मे विनोद दूबे, पेशे से जहाज़ी और दिल से लेखक हैं | इनका हिंदी उपन्यास “इंडियापा” और “ओक्का -बोक्का” हैं तथा काव्य संकलन “वीकेंड वाली कविता”, ” जहाज़ी”, “बेतरतीब” और ” गुल्लक” हैं । “ वीकेंड वाली कविता” नामक यूटूब चैनल इनके कविताओं की गुल्लक है । इन्हे सिंगापुर में हिंदी के योगदान को लेकर देश विदेश में कई पुरस्कार मिले हैं ।

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गुल्लक

वीकेंड वाली कविता - 2025

"गुल्लक" एक संकेत है, इंसानी स्मृतियों की जमापूंजी का। यह संकेत है इस बात का कि जीवन के क्षणिक होने की हम चाहे कितनी बात कर लें, हम हर क्षण को अपने सीने की तिजोरी में फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह संजोए रहते हैं।

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बेतरतीब

वीकेंड वाली कविता - 2024

यह कविता संग्रह 'बेतरतीब' प्रकृति के इस मूल स्वभाव को समर्पित है। साल के बावन हफ़्तों की बावन वीकेण्ड वाली कवितायें घर, दफ़्तर, गाँव, परदेश, त्यौहार, विषाद, रिश्ते और एकांत जैसे मन में चल रहे बेतरतीब ख्यालों की गुल्लक़ है।

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Okka-Bokka

लोकप्रिय कवि-कथाकार विनोद दूबे का उपन्यास ‘ओक्का-बोक्का’ पहली नज़र में तीन ऐसे दोस्तों की जीवन-गाथा है जो बचपन से लेकर बुढ़ापे तक दोस्ती की जादुई भावना को नए-नए सिरे से जीते हैं।

ढ़ाई चाल
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Jahazi : Weekend Wali Kavita

समंदर के बीच एक जहाज़ी हर रस—वीर, करुण, हास्य, वियोग, को जीता है। कई बार वह बुद्ध की तरह बेरस भी हो जाता है। 'जहाज़ी' मेरा काव्य संकलन है, जो उसी अनुभव की गहराई को छूता है। इन्हें फुर्सत में नहीं, व्यस्तता के उन पलों में पढ़िए जब दिल सबसे ज़्यादा साथ माँगता है। क्योंकि आख़िर में—हम सब एक ही यात्रा के मुसाफ़िर हैं।

ढ़ाई चाल
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Indiyaapa : When Bollywood Met Reality

From Banaras to the seas, I lived a quiet life—until I met Bhakti at a phone service centre. One glance changed everything. This is my story of love, rebellion, and finding myself beyond Sharma Aunty’s expectations. A journey many will relate to.

ढ़ाई चाल
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Weekend Wali Kavita

सुबह कपालभांति में निकली, तो चाय छूटी। फ़्रूट प्लेट आई, तो परांठे-आचार छूटे। यही उलझी ज़िंदगी है, बेतरतीब, फिर भी अपनी। इस कविता संग्रह में वही रोज़मर्रा की बेतरतीबियाँ हैं, कभी कड़वी, कभी मीठी। इन्हें फुर्सत में पढ़िए, क्या पता जेठ की दुपहरी में भी बसंत उतर आए।

ढ़ाई चाल
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Indiyaapa

जब हर पटना, बनारस, भोपाल—मुंबई बनने को बेताब था, तब प्यार का सफर एवरेस्ट चढ़ने जैसा था, IIT-JEE क्रैक करने वाला चाँद से लौटा लगता था। यही कहानी है ‘इंडियापा’ की—पहली किताब, पहले प्यार जैसी। ट्रेन के सफर, exam के बाद वाली रात या सर्दियों की धूप में पढ़ने लायक फ़ुर्सत की कहानी।

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गुल्लक

वीकेंड वाली कविता - 2025

"गुल्लक" एक संकेत है, इंसानी स्मृतियों की जमापूंजी का। यह संकेत है इस बात का कि जीवन के क्षणिक होने की हम चाहे कितनी बात कर लें, हम हर क्षण को अपने सीने की तिजोरी में फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह संजोए रहते हैं।

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Okka-Bokka

लोकप्रिय कवि-कथाकार विनोद दूबे का उपन्यास ‘ओक्का-बोक्का’ पहली नज़र में तीन ऐसे दोस्तों की जीवन-गाथा है जो बचपन से लेकर बुढ़ापे तक दोस्ती की जादुई भावना को नए-नए सिरे से जीते हैं।

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बेतरतीब

वीकेंड वाली कविता - 2024

यह कविता संग्रह 'बेतरतीब' प्रकृति के इस मूल स्वभाव को समर्पित है। साल के बावन हफ़्तों की बावन वीकेण्ड वाली कवितायें घर, दफ़्तर, गाँव, परदेश, त्यौहार, विषाद, रिश्ते और एकांत जैसे मन में चल रहे बेतरतीब ख्यालों की गुल्लक़ है।

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Jahazi : Weekend Wali Kavita

समंदर के बीच एक जहाज़ी हर रस—वीर, करुण, हास्य, वियोग, को जीता है। कई बार वह बुद्ध की तरह बेरस भी हो जाता है। 'जहाज़ी' मेरा काव्य संकलन है, जो उसी अनुभव की गहराई को छूता है। इन्हें फुर्सत में नहीं, व्यस्तता के उन पलों में पढ़िए जब दिल सबसे ज़्यादा साथ माँगता है। क्योंकि आख़िर में—हम सब एक ही यात्रा के मुसाफ़िर हैं।

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Indiyaapa : When Bollywood Met Reality

From Banaras to the seas, I lived a quiet life—until I met Bhakti at a phone service centre. One glance changed everything. This is my story of love, rebellion, and finding myself beyond Sharma Aunty’s expectations. A journey many will relate to.

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Weekend Wali Kavita

सुबह कपालभांति में निकली, तो चाय छूटी। फ़्रूट प्लेट आई, तो परांठे-आचार छूटे। यही उलझी ज़िंदगी है, बेतरतीब, फिर भी अपनी। इस कविता संग्रह में वही रोज़मर्रा की बेतरतीबियाँ हैं, कभी कड़वी, कभी मीठी। इन्हें फुर्सत में पढ़िए, क्या पता जेठ की दुपहरी में भी बसंत उतर आए।

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Indiyaapa

जब हर पटना, बनारस, भोपाल—मुंबई बनने को बेताब था, तब प्यार का सफर एवरेस्ट चढ़ने जैसा था, IIT-JEE क्रैक करने वाला चाँद से लौटा लगता था। यही कहानी है ‘इंडियापा’ की—पहली किताब, पहले प्यार जैसी। ट्रेन के सफर, exam के बाद वाली रात या सर्दियों की धूप में पढ़ने लायक फ़ुर्सत की कहानी।

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Weekend Letters & Poems

वीकेंड वाली कविता

ना ज़िंदगी की उलझनें बदलती हैं, ना हम। कविताएँ देखने का नजरिया बदल देती हैं। वीकेंड वाली कविता की रचनाएँ भी यूँ ही बेतरतीब हैं, जैसे रोज़मर्रा की नीरस और अस्त-व्यस्त ज़िंदगी।

वीकेंड वाली चर्चा

वीकेंड वाली चर्चा हफ्तेभर की भागदौड़ के बाद ठहर कर सोचने और दिल से बात करने का मौका है। यहाँ आप छोटे-बड़े मुद्दों, अनुभवों और यादों पर खुलकर पढ़ सकते हैं और अपनी बात भी जोड़ सकते हैं।

वीकेंड वाली चिठ्ठी

वीकेंड वाली चिठ्ठी हफ्ते के अंत में दिल से लिखा एक छोटा सा संदेश है, जो बीते दिनों की बातें, कुछ सीख और नए हफ्ते के लिए उम्मीदें बाँटता है। इसे पढ़िए और अपने विचार भी साझा कीजिए।

पाठक समीक्षा

यहाँ पाठकों की सच्ची राय पढ़ें, जिन्होंने किताब को जिया है। हर समीक्षा नए पाठकों को किताब समझने और चुनने में मदद करती है। आप भी अपना अनुभव साझा कर सकते हैं।

Media

Event

Event Date: 7th June 2025

वीकेंड वाली चर्चा

Location: Singapore

Session: Hindi or Nayi Hindi

Speakers: Himanshu Sachdeva and Vinod Dubey

Time:
05:30 PM India Time
08:00 PM Singapore Time

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