यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि विनोद का तीसरा काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। अपनी व्यथा-गाथा को व्यक्त करने की चेष्टा में आदि कवि भले ही विरही रहा होगा, परन्तु इनकी कविताएँ किसी एक ही रचना पद्धति की क़ैदी नहीं हैं। इनमें एक ओर त्यौहार मनाने की प्रसन्नता झलकती है, वहीं राम के संघर्ष, दांपत्य जीवन की दुविधा, हारे हुए इन्सान की व्यथा का फ़लसफ़ा भी दिखायी पड़ता है। जीवन के रंगमंच पर गाँव देहात की लड़कियों से भेंट, बिटिया का प्यार और arranged marriage का निर्णय जैसी गुत्थियों पर भी इनमें टिप्पणियाँ शामिल हैं। हर सप्ताह एक नई कविता किसी नूतन विविधता के साथ हमें बहुत कुछ सोचने पर भी बाध्य करती है। यही प्रार्थना करूँगा कि विनोद की लेखनी आगे भी इसी तरह हम सभी का न सिर्फ़ मनोरंजन करे परन्तु हमें नए विचारों एवं संवेदनाओं से अवगत कराती रहे।
कैप्टेन अरुण सुंदरम्
- Post author:Prince Singh
- Post published:June 28, 2025
- Post category:Pathak Samiksha
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