मंजिमा शर्मा

विनोद जी की कविताएँ मैं काफ़ी समय से सुन रही हूँ। देश से दूर रहने के बावजूद जिस तरह से उन्होंने हमारी भाषा और संस्कृति को अपनी कविताओं के ज़रिए गौरवान्वित किया है, यह वास्तव में प्रसंशनीय है। उनकी हर कविता का विषय हम सब की ज़िंदगी से कहीं न कहीं जुड़ा होता है और वे हम सब की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर जिस ख़ूबसूरती से कविता का रूप देते हैं, वह दिल को छू लेता है। इनकी कविताओं से प्रेरित होकर मैंने भी कुछ कविताएँ लिखने का साहस किया है। विनोद जी को २०२४ के काव्य संकलन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ। आशा करती हूँ कि हमें इनकी और भी मर्मस्पर्शी रचनाएँ सुनने को मिलेंगी और आप हम सब के लिए ऐसे ही प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

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