मैंने विनोद जी की रचनाएँ इनके जहाजी पुस्तक और सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ी। इनकी हर रचना दिल को छू जाती है क्योंकि उनमें जीवंतता होती है। ये सरल परंतु प्रभावशाली भाषा का इस्तेमाल करके उन पलों को रचनाबद्ध करते हैं जिन्हें हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी जिया ही होगा। जिन विषय वस्तुओं को अपनी लेखनी में उतारने के लिए चुना है, काबिल-ए-तारीफ है। आपकी सुंदर रचनाओं में से मुझे पिंक और ब्ल्यू, गंगा घाट, चाय और माँ के बाद पिता बहुत ही ज़्यादा अच्छी लगीं; दिल को छू गई। विनोद जी, अपनी लेखनी द्वारा जीवन के हर पल को पुनर्जीवित करने के लिए, खुद से खुद को मिलाने के लिए और अतीत के पन्नों को पलटने के लिए, आपको विशेष धन्यवाद।
प्रेमलता त्रिपाठी
- Post author:Prince Singh
- Post published:June 28, 2025
- Post category:Pathak Samiksha
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