13.09.2025

डियर X, आज की सुबह में धूप और हवा का अनूठा संगम है। विरोधाभासी चीज़ें जब एक साथ आती हैं तो आनंद का स्वाद ही कुछ और होता है—खट्टे-मीठे-नमकीन की…

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06.09.2025

डियर X, सप्ताहांत और आलस से भरी सोंधी सुबह।  वैसे तो बेचैनी और आपाधापी से मुक्त जीवन हमारा अधिकार होना चाहिए था, दुखद है कि वह तलाश बन चुका है।…

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30.08.2025

डिअर X, आज की सुबह ठंडी हवाओं और तेज़ बारिश साथ लेकर आई है। पेड़ अपने पत्तों को ऐसे झटक रहे हैं जैसे कोई बाथरूम से निकलकर अपने बालों को…

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23.Aug.2025

डियर X, इन चिट्ठियों का सिलसिला कुछ यूँ चल पड़ा है कि देखते -देखते आधे से ज्यादा साल गुजर गया पता ही नहीं चला । कभी पुरानी चिट्ठियों को पलटता…

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अंतिम पड़ाव

कभी देखा है तुमने किसी इंसान के,जीवन का अंतिम पड़ाव?सब कुछ हासिल करने के बाद का अधूरापन,कितना खालीपन लिए होता है।जैसे डूबते सूरज के सिंदूरी आकाश में,कोई वक्त के बचे…

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पहाड़ी बारिश

सपनों की फ़ेहरिस्त में, मेरा एक ख़ास सपना है,मुझे बारिशों के चंद रोज़, पहाड़ी रिसॉर्ट पर रहना है, अदरक की चाय लिए, खिड़की की ओट से,बूँदों के सिक्के निकालूँ, बादल…

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वीकेंड

वीकेंडतलाशता रहता है मन,उन्मुक्त मानसिक अवकाश,जैसे देखती हैं किसान की आँखें,इस मेड़ से उस नहर तक फैले खेत,मैं भी ढूँढता हूँ,दूर तलक फैली आलसी वक्त की मिट्टी,जिसमे बो पाऊं सृजन…

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प्रेमचंद

एक ख़्वाहिश है,कि कभी जो तुम एक दोस्त बनकर मिलो,तो कुल्हड़ में चाय लेकर,तुम्हारे साथ सुबह का कुछ वक़्त गुज़ारूँ,तुमसे बातें करते शायद देख पाऊँ,तुम्हारी आँखों में छुपे वो सारे…

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अज्ञेय

कुशीनगर की धरती पर जन्मा,वो बुद्ध सा स्वच्छंद था,नाम भी रखा पिता ने,सत चित आनंद था,यूँ ही अकेले घूमता था,मौन रहकर सोचता था,संसार के हरेक वज़न को,अपनी तराज़ू से तौलता…

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लेखक

दोस्त मज़ाक़िया तौर से पूछते हैं,ये जो तुम काग़ज़ काले करते हो,ये कौन से ख़ज़ाने की गुल्लक है,जिसे तुम हफ़्ते दर हफ़्ते भरते हो? मैं भी सोच में पड़ जाता…

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